Connect with us

दिव्यांग जनों की उद्यम में हिस्सेदारी विषय पर बातचीत पर दून पुस्तकालय में हुआ मंथन

उत्तराखंड

दिव्यांग जनों की उद्यम में हिस्सेदारी विषय पर बातचीत पर दून पुस्तकालय में हुआ मंथन

देहरादून: दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र तथा साहस फाउंडेशन समावेशी संसाधन केंद्र की ओर से आज सायं केंद्र के सभागार में दिव्यांग जनों की उद्यम में हिस्सेदारी विषय पर एक सार्थक बातचीत का आयोजन किया गया. इसमें विविध सामाजिक संस्थाओं और दिव्यांग जनों पर काम करने वाले लोगों और दिव्यांग जनों व उनके परिवार के लोगों ने भाग लिया. मुख्य रूप से इसमें दिव्यांगता, समावेशी जन समूह और बाजार एकीकरण पर आधारित बिंदुओं पर गहन बातचीत हुईं।

साहस फाउंडेशन समावेशी संसाधन केंद्र के शहाब नक़वी ने कहा कि भारत में एक न्यायसंगत और लचीली अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए समावेशी कामकाजी लोगों के समूह महत्वपूर्ण हैं, जो लोगों को विशेष रूप से दिव्यांग जनों को उद्यमी, उत्पादक और निर्णयकर्ता के रूप में पहचान दिलाते हैं। इस बातचीत का हमारा उद्देश्य यह है कि हम व्यक्तियों, सामाजिक उद्यमों, संगठनों और उत्पादक समूहों को भी मंच पर अपनी कहानियाँ साझा करने के लिए एक सामूहिक मंच प्रदान करें

इस बातचीत में वक्ताओं का साफ मानना था कि भारत में, दिव्यांग व्यक्तियों को अक्सर सहायता या कल्याण के निष्क्रिय प्राप्तकर्ता के तौर पर देखा जाता रहा है। जबकि ऐसा नहीं है. कुछ समावेशी प्रयास द्वारा समूहों को मज़बूत बनाया जा सकता है. दिव्यांगों जनों में निहित क्षमता को पहचान कर उन्हें सक्रिय आर्थिक योगदानकर्ता, उद्यमी, श्रमिक और सह-निर्माता के रूप में देखने का प्रयास किया जाना महत्वपूर्ण पहल हो सकती है। प्रतिभागी वक्ताओं ने यह भी कहा कि सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों का इस तरह का प्रयास दिव्याँग जनों को अपने पैरों पर खड़ा सामाजिक धारणा को बदल सकता है. दिव्यांगता को केवल “विशेष” योजनाओं के अंतर्गत ही नहीं, बल्कि छोटे छोटे आर्थिक मुख्यधारा से जोड़कर उसे सामान्य बनाने का प्रयास हर सम्भव किया जा सकता है।

शहाब नक़वी ने बातचीत का संचालन करते हुए कहा कि इस तरह मंचों से उनका यह प्रयास रहता है कि वे निर्णय लेने वाले मंचों पर अपने अनुभव और प्रतिनिधित्व को साझा करते रहें, संस्थाओं, खरीदारों और बाज़ारों के साथ बातचीत का समुचित लाभ उठायें और उनके लिए सहकर्मी सहायता प्रणालियाँ, विशेष रूप से जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उपयोगी हैं, उस पर काम कर सकें. उन्होंने बाज़ार एकीकरण की आवश्यकता के कुछ मुख्य पक्षो यथा पूंजी,बाज़ार संपर्क, प्रौद्योगिकी,सूचना व नीति और साक्षरता पर भी संक्षिप्त प्रकाश डाला.

यह भी पढ़ें 👉  यूपीसीएल के ऊर्जा भवन में निदेशक मंडल की 124वीं बैठक आयोजित की गई

कुल मिलाकर इस बातचीत से यह बिंदु उभर कर आया कि इन सामूहिक प्रयासों के माध्यम से बाजार एकीकरण न केवल सामाजिक रूप से परिवर्तनकारी साबित हो सकता है अपितु दिव्यांग जनों के ऊपर लगे सामाजिक नकारात्मक धारणा को भी चुनौती देकर उनके व्यक्तित्व को मजबूत बनाते हुए उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के प्रयासों में अवश्य सफलता पायी जा सकती है.

बातचीत में शैलेन्द्र नौटियाल, राकेश अग्रवाल, बृजमोहन शर्मा,जगदीश बाबला, बिजू नेगी, चंद्रशेखर तिवारी देवेंद्र कांडपाल,शीबा चौधरी,आरती, नवीन उपाध्याय, प्रमोद पसबोला, राहुल पुंडीर, रोहित राय, फ़ातिमा, शहनाज़, उस्मान, आरती, अम्बिका बर्थवाल, इंदुमति नेगी, हर्षमणी भट्ट और पुष्पा ने भाग लिया.

Latest News -
Continue Reading
Advertisement
Advertisement

उत्तराखंड

उत्तराखंड

Advertisement

देश

देश
Advertisement

Advertisement Video

Advertisement

ट्रेंडिंग खबरें

To Top
0 Shares
Share via
Copy link