देहरादून
नगर निगम द्वारा रिस्पना नदी के किनारे 27 अवैध बस्तियां की चिन्हित, बस्तियों को हटाने का काम शुरू…
NGT और हाईकोर्ट के निर्देश पर नगर निगम ने अतिक्रमण और साल 2016 के बाद की अवैध बस्तियों को हटाने का काम शुरू कर लिया है। नगर निगम द्वारा पहले चरण में रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगला से मोथरोवाला तक 27 अवैध बस्तियां चिन्हित की गई हैं। कमेटी जांच रिपोर्ट तैयार करके इन सभी को नोटिस भेजने का काम करेगी।
इन कॉलोनी को किया गया चिन्हित | 27 illegal settlements have been identified in Dehradun
वीर गब्बर सिंह कॉलोनी किशनगर, काठ बंगला ढाक पट्टी, काठ बंगला-2, आर्य नगर बस्ती करनपुर, बार्डी गार्ड जाखन, अंबेडकर कॉलोनी डीएल रोड अधोईवाला, रिस्पना खटीक कॉलोनी, विजय नगर अघोईवाला, भगत सिंह कॉलोनी अघोइवाला, पंचपुरी चंद्र नगर डालनवाला, गांधी बस्ती डालनवाला, चंदर रोड डालनवाला, बलबीर रोड डालनवाला, संजय कॉलोनी मोहिनी रोड धर्मपुर, शिव नगर अजबपुर, राजीव नगर भाग-2 रिस्पना, राजीव नगर भाग-1, रिस्पना नगर अजबपुर कला, अपर राजीव नगर धर्मपुर, केदारपुर मलिन बस्ती केदारपुर, दीप नगर अजबपुर कला, ऋषि नगर अघोईवाला, राजीव नगर कंडोली, आनंद ग्राम अघोईवाला, गैस गोदाम किशन नगर राजपुर रोड, नेमी रोड मलिन डालनवाला, शास्त्री नगर चूना भट्टा और इंद्रा पुरम कॉलोनी को चिन्हित किया गया है।
रिस्पना की वास्तविक चौड़ाई जानने के लिए सर्वे कर रहा नगर निगम | 27 illegal settlements have been identified in Dehradun
देहरादून नगर निगम क्षेत्र में कुल 129 बस्तियों को चिन्हित किया गया है, जिनमें 40 हजार भवन होने का अनुमान है। हालांकि, वर्ष-2016 के बाद किए गए निर्माण नियम के अनुसार ये अवैध करार दिए गए हैं। कोई रोक-टोक न होने के कारण शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध रूप से बस्तियों का विस्तार कर दिया गया और सैकड़ों नए भवन तैयार किए गए। नगर निगम ने पिछले आठ साल से ध्यान भी नहीं दिया। लेकिन नगर निगम अब रिस्पना की वास्तविक चौड़ाई जानने के लिए सर्वे कर रहा है।
रिस्पना नदी के किनारे 27 मलिन बस्तियों को चिन्हित किया गया
अपर नगर आयुक्त गोपाल बिनवाल ने बताया कि पहले चरण में काठ बंगला से मोथरोवाला तक रिस्पना नदी के किनारे 27 मलिन बस्तियों को चिन्हित किया गया। कमेटी द्वारा जांच रिपोर्ट तैयार करने के बाद नगर आयुक्त को पेश करने के बाद सभी मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को नोटिस भेजने का काम किया गया जाएगा।
साथ ही मलिन बस्ती अधिनियम के तहत साल 2016 के बाद निर्माण अवैध है। ऐसे में नगर निगम की टीम यह जांच कर रही है कि साल 2016 के बाद मलिन बस्तियों में बिजली और पानी के कनेक्शन लिए गए हैं या नहीं, इसके लिए ऊर्जा निगम और जल संस्थान का भी सहयोग लिया जा रहा है।
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