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रिस्पना और बिंदाल नदी पर एलिवेटेड रोड बनाने की कवायद तेज, जाम से मिलेगी निजात…

देहरादून

रिस्पना और बिंदाल नदी पर एलिवेटेड रोड बनाने की कवायद तेज, जाम से मिलेगी निजात…

उत्तराखंड के देहरादून में लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी रिस्पना और बिंदाल नदी पर चार से छह लेन की एलिवेटेड रोड बनाने की योजना को लेकर बड़ा अपडेट आया है। बताया जा रहा है कि इस योजना को लेकर एक बार फिर कवायद तेज हो गई है। आईआईटी रुड़की को इस प्रोजेक्ट के लिए मॉडल स्टडी का जिम्मा सौंपा गया है। इस करोड़ों के प्रोजेक्ट से जाम के झाम से निजात मिलने की उम्मीद है। आइए जानते है इस प्रोजेक्ट के बारे में..

मिली जानकारी के अनुसार देहरादून में जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए रिस्पना और बिंदाल नदी पर एलिवेटेड रोड बनाये जाने का खाका तैयार हो रहा है। एलिवेटेड रोड बन जाने से शहर के भीतर जाम से बड़ी राहत मिलेगी। रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारों पर 26 किलोमीटर से अधिक लंबी एलिवेटेड रोड बनाने की कवायद तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि सरकार 5500 करोड़ रुपये से अधिक के बजट वाली इस योजना के डीपीआर की मंजूरी की दिशा में आगे बढ़ रही है। आईआईटी रुड़की से इस प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर का परीक्षण कराया जाएगा।

बताया जा रहा है कि आईआईटी को इस प्रोजेक्ट की मॉडल स्टडी के लिए 45 लाख रुपये दिए जाएगे। 04 माह के भीतर टीम को इस स्टडी को पूरी करना होगा। जिसके तहत ये जाना जाएगा कि दोनों नदियों में अधिकतम बहाव की स्थिति में भी  परियोजना टिकी रह सकती है। मॉडल स्टडी का गणितीय माडल परियोजना के पूरे क्षेत्र में कराया जाएगा, जबकि धरातलीय स्टडी के लिए संकरे व अन्य संवेदनशील क्षेत्रों का चयन किया जाएगा। इसके आधार पर डीपीआर को अपग्रेड भी किया जा सकता है। स्टडी की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी और स्वीकृति के मुताबिक निर्माण की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा।

गौरतलब है कि बिंदाल व रिस्पना नदी के किनारों पर चार से छह लेन के बीच एलिवेटेड रोड बनाने की कवायद पहली बार वर्ष 2019 में शुरू की गई थी। कुछ समय के भीतर ही फिजिबिलिटी सर्वे भी कराया गया था। नदियों के किनारों पर सड़कों के निर्माण की संभावना तलाशी जाएगी, ताकि नदी क्षेत्रों के आसपास की बस्तियों व अन्य क्षेत्रों में आवागमन सुगम हो सके। अगर एलिवेटेड रोड की योजना परवान चढ़ी तो दून में ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करने की दिशा में यह बड़ा कदम साबित होगा। हालांकि, धरातल पर कुछ काम नहीं कराया जा सका।

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